पवनमुक्तासन

पवनमुक्तासन:-
स्थिति:-पीठ के बल लेटकर किए जानेवाले आसन की स्थिती। यह आसन 3 क्रियाओं(steps) में किया जाता है।
क्रिया नं 1:- 1. दाहिना पैर 45 अंश तक उठाएं ।
2. दाहिना पैर को 90 अंश तक उठाएं।
3. दायां पैर घुटने से मोड़कर घुटना दोनों हाथों से पेट पर दबाएं।
4. घुटने को ठुड्डी से लगातार बाया पैर सीधा 3-5 बार अंदकृति में घुमाएं। ।।पूर्व स्थिति।।
5. सिर और बायां पैर जमीन पर रखें।
6. दाहिना पैर छोड़कर 90 अंश तक लाएं, हाथ पीछे सिर की ओर फैलाएं।
7. दाहिना पैर 45 अंश तक लाएं।
8. दाहिना पैर जमीन पर लाएं। ।।पूर्व स्थिति।।

क्रिया नं 2:- इसी प्रकार (1 से 8 तक सभी क्रियाएं) बाएं पैर से करें।

क्रिया नं 3:- (ऊपर दिखाए गए चित्र नं 2 के अनुसार)
1. सीधा सोकर दोनों पैर (एड़ी दिखने तक)45 अंश तक उठाएं।
2. दोनों पैर 90 अंश तक खड़े करें।
3. दोनों घुटने मोड़कर हाथों से पैर सीने पर दबाएं। सिर उठाकर माथा घुटनों पर लगाएं।
4. 2-3 बार दाएं-बाएं लूढ़कें।
5. 2-3 बार ऊपर- नीचे होवें। ।।पूर्व स्थिति।।
6. दोनों पैर 90अंश तक लाएं।
7. पैर 45 अंश तक लाएं।
8. पैर जमीन पर रखें। ।। पूर्व स्थिति।।
9. 5min तक शवासन मे लेटे रहें।

लाभ :- 1. इससे मल शुद्धि होती है।
2. नाम से ही स्पष्ट है वायु को मुक्त करनेवाला आसन अर्थात पवनमुक्तासन, अतः इससे अपान वायु मुक्त होती है। पेट फूलना व गैस् की तकलीफ में उपयोगी आसन है।
3. पीठ चौड़ी व रीढ़ मजबूत करता है।
4. हाथ, पैर, कमर, पेट, पसली के विकार दूर होते है।
5. पेट पतला होता है।
6. भूख बढ़ती है।
7. इस आसन को बूढ़ा, युवा, स्त्री, पुरुष, रोगी, निरोगी सभी कर सकते है।

समय:- 2 से 5 मिनट तक। यह आसन मलत्याग के पूर्व ही करें।

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