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2019 पासूनच्या पोेस्ट दाखवत आहे

कन्धरासन

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स्तिथि :- पीठ के बल लेटकर किए जाने वाले आसन की स्तिथि | क्रिया :- सीधे लेटकर पैरोको घुटनेसे मोड़कर पुठ्ठओ के पास रखे | दोनों हाथों से दोनों पैरो के ट‍कने पकड़े | श्वास अंदर लेकर कम्बर और पुठ्ठओ को ऊपर उठाये | कंधा, सर, और पैरोंके तलवे जमीन पर ही रहेंगे |इस स्थिति मे 15 से 20 सेकंद रहे | बाद मे श्वास धीरे से छोडते हुये कम्बर जमीन पर टिकाये | ऐसा 3-4 बार कर सकते है | लाभ :- नाभि को केंद्र मे रखने के लिये सर्वोत्तम आसन है | पेट दुखना, कंबर दुखी, इसमे बहुत उपयोगी आसन है | गर्भाशय के लिये लाभप्रत है | वंध्यत्व, मासिक विकृती, श्वेत प्रदर और पुरुषोंके धातुरोग दूर करता है |

नौकासन

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 स्तिथि :- दोनों  हाथोंकॊ  जंगआओ पर रखकर सीधे पीठ के बल लेट जाए क्रिया :- स्वास लेते हुए हाथ और सर उठाए अब पैर भी उठाए हाथ, पैर, और सर समांतर रखे ताकि पूरा शरीर नौका जैसा दिखे. ईस स्तिथि मे कुछ देर रूककर धीरे से हाथ पैर और सर स्वास बाहर छोड़कर नीचे टिकाये ऐसा 3-6 बार कर सकते है | इस आसन का संलग्न आसन धनुरासन है इस लिए यह आसन करने के बाद धनुरासन करना आवश्यक है | लाभ :- इस आसन के लाभ उत्तानपादसन जैसे ही है | हृदय और फे फेफड़े भी प्राणवायु के प्रवेश से सशक्त बनते है | आत, आमाशय, अग्नाशय, और यकृत इनके लिये यह आसन उत्तम है |           

उत्तानपादासन

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स्तिथि :- पीठ के बल आसान की स्तिथि  क्रिया :- 1} जमीन पर लेटकर हाथो के तलवे जमीन पर टिके हुए दोनों पैर आपस मे मिले हुए | 2} अब श्वास अंदर ले और पैर एक फुट (30 अंश) धीरेसे उपर उठाए और थोडा देर तक ऐसे ही रखे | 3} फिर धीरे से पैर जमीन पर रखे और विश्राम करे फिर कुछ देर बार फिर यही क्रिया 3-6 बार दौराए | 4} जिनकी कमर मे दर्द हो रहा हो वह इसे एक एक पैर से भी कर सकता है | लाभ :- इस आसन से आतडीया सशक्त और निरोगी रहती है और बद्धकोष्ठता, गॅस और मोटा पण दूर होकर जठराग्नि प्रदीप्त होती है | नाभि सरकना, हृदयरोग, पेट दर्द और स्वास रोग मे लाभ होता है | एक एक पैर से करने पर कमर मे विशेष लाभ होता है |

कर्ण पीडाआसन

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स्तिथि :- आसान करने स्तिथि पीठ के बल लेटकर किया जाने वाला आसन | क्रिया :- यह आसन करने के लिए सबसे पहले हलासन आना जरूरी है तभी यह आसन असानी से होगा | *सबसे पहले हलासन करे और घुटनों को मोड़कर कान को लगाए बाकी विधि हलासन जैसेही करें | लाभ :- हलासन मे जो लाभ बताए गए है वही लाभ इस आसन मे भी होते है | सिर्फ इसमे कान के रोग मे विशेष लाभ मिलते है | इसी कारण कर्ण मतलब कान का आसान कर्ण पीडाआसन यह नाम पड़ा है |