योगा का छोटासा परिचय

नमस्कार,
            मेरा नाम धिरज है । मैं आपको बताऊंगा योग के बारे मे योग यह शब्द वेद, उपनिषद, गीता और पुराण से भी पहले से चला आ रहा है । भारत दर्शन मे योग एक महत्वपूर्ण शब्द है । आत्मदर्शन और समाधि से लेकर कर्मक्षेत्र तक इसका उपयोग शास्त्र मे हुआ है । महर्षि व्यास योग का अर्थ समाधि कहते है। व्याकरण मे 'यूज्' धातु के भावमे घत्र  प्रत्यय करने पर योग शब्द की उत्पति होती है।
संयमसे साधना आत्माकी परमातमासे योग करके समाधि का आनंद लेना मतलब योग होता है।
योग के प्रकार :- 1)मंत्रयोग 2)लययोग 3)हठ्योग 4) राजयोग
इसके अलावा गीतामे ज्ञानयोग , सांख्ययोग, और कर्मयोग है। गीत के पाँचवे अद्याय मे सन्यासयोग और कर्मयोग को श्रेष्ठ बताया गया है।
योग करने से धरती का तमाम सुख मिलता है। 80% रोग योग से दूर होते है।

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