तोलांगुलासन
बाजार में किसी वस्तु विशेष को तौलते वक़्त तराजू का कांटा बीच में स्थिर हो जाता है | ये दिखाता है कि दोनों तरफ का भार संतुलित है |तोलांगुलासन के माध्यम से भी शरीर का सम्पूर्ण भार नितंब में केन्द्रित कर दिया जाता है जिससे कि शरीर कि आकृति तराजू सामान बन जाती है | इसी वजह से इस आसन का नाम तोलांगुलासन पड़ा | स्तिथी:- पीठ के बल लेटे हुए आसन की स्तिथी। कृती:- 1) दाहिना पैर बायीं जंगा पर रखें। 2) बायां पैर दाहिनी जंघा पर रखें । 3) दोनों हाथों की मुठ्ठीया बांधे व घुटने उठाकर पुठ्ठे के निचे खडी़ रखें । 4) सिर उठाकर घुटनों की सीध में लाएं, शरीर का भार मुठ्ठीयोंपर ही रहे।।। पूर्ण स्थिती ।। 5) सिर और घुटने जमीन पर ही टिकाएं । 6) हाथ निकालें । 7) बायां पैर निकालें। 8) दाहिना पैर निकालें । ।। पूर्व स्थिती ।। लाभ:- 1) पेट, आतों पर दबाव आने से मल शुध्दि होती है । 2) पेट के अंदर रूकी हुई हवा निकल जाती है। 3) कमर , रीढ, जांघे, पिण्डलियां,