पोस्ट्स

ऑगस्ट, २०१६ पासूनच्या पोेस्ट दाखवत आहे

तोलांगुलासन

इमेज
बाजार में किसी वस्तु विशेष को तौलते वक़्त तराजू का कांटा बीच में स्थिर हो जाता है | ये दिखाता है कि दोनों तरफ का भार संतुलित है |तोलांगुलासन के माध्यम से भी शरीर का सम्पूर्ण भार नितंब में केन्द्रित कर दिया जाता है जिससे कि शरीर कि आकृति तराजू सामान बन जाती है | इसी वजह  से इस आसन का नाम तोलांगुलासन पड़ा | स्तिथी:- पीठ के बल लेटे हुए आसन की स्तिथी।                   कृती:- 1) दाहिना पैर बायीं जंगा पर रखें।                         2) बायां पैर दाहिनी जंघा पर रखें ।              3) दोनों हाथों की मुठ्ठीया बांधे व घुटने          उठाकर पुठ्ठे के निचे खडी़ रखें ।         4) सिर उठाकर घुटनों की सीध में लाएं, शरीर  का भार मुठ्ठीयोंपर ही रहे।।।  पूर्ण स्थिती ।। 5) सिर और घुटने जमीन पर ही टिकाएं ।        6) हाथ निकालें ।                                        7) बायां पैर निकालें।                                   8) दाहिना पैर निकालें ।  ।।  पूर्व  स्थिती ।।       लाभ:- 1) पेट, आतों पर दबाव आने से मल शुध्दि होती है ।   2) पेट के अंदर रूकी हुई हवा निकल जाती है। 3) कमर , रीढ, जांघे, पिण्डलियां,

चक्रासन

इमेज
चक्रासन चक्रासन योग में शरीर का आकार चक्र / पहिए के समान होने के कारण इसे Wheel Pose भी कहा जाता हैं। धनुरासन के विपरीत होने के कारण इसे उर्ध्व धनुरासन भी कहा जाता हैं।  स्तिथी :- पीठ के बल लेटे हुए आसन की स्तिथी कृती:- 1) दोनो पैर मोडकर घुटने ऊंचे करके पैर पुठ्ठे के नजदीक लाकर, हाथ कान के पास  जमीन पर आँधे रखें  2) कमर उठाएं, दृष्टि हाथ की ओर रहे ।।    (धीरे - धीरे हाथ और पैर नजदीक करें ) ।। पूर्ण स्थिती ।। 3) शरीर जमीन पर टिकाएं।।                  4) दोनों पैर सीधे करें।  ।। पूर्व  स्थिती ।।     लाभ :- 1) रीढ़, पैर, कमर, हाथ, छाती, गला, पेट, गर्दन इनके विकार दूर होते हैं। 2) हाजमा ठीक होता है।                                3) स्नायु व ग्रंथियां बलवान व कार्यक्षम होती है। 4) आँखों को लाभ होता है।।                    5) स्त्रियों के लिए उत्त़म आसन है।                 6) इससे शरीर में हल्कापन व ताजगी आती है।        7) पेट को ढिला होने व बढ़ने से रोकता है तथा  ऊंचाई बढा़कर सुंदरता को बढ़ाता है।              8) मेरूदंड को लचीला बनाता है। हलासन का पूरक                आसन चक्रासन है। इसी

हलासन

इमेज
हलासन:- इस आसन को करते समय शरीर का आकार हल के समान होता है इसलिये इसे हलासन कहते है। स्थिती:- पीठ के बल लेटे हूये आसन की स्तिथी। कृति:- 1) हथेलिया कमर की ओर रखकर दोनों हाथों को दोनों तरफ से लंबा करे, दोनों पैर 45° अंश तक उठाएं । 2) पुठ्ठे उठाते हुए पैर खडे़ करे अर्थात पैरों को 90° अंश तक लाएं। 3) पुठ्ठे उठाकर पैर सिर की ओर जमीन से एक हाथ ऊंचाई पर ले जाएं। 4) पैर सिर की तरफ जमीन तक ले जाएं। (घुटने व पैर सीधे रहें परंतु जमीन कों टिकाएं नहीं) ।। पूर्ण स्थिती ।। 5) पैर जमीन से 15° अंश तक उठायें।                              6) कमर जमीन पर रखकर पैर खडे़ करें। पैर आधे पर नीचे लाएं अर्थात पैर 90° अंश तक लाएं।।                    7) पैर 45°अंश पर लाएं।।                                            8) पैर सीधे करें।  ।। पूर्व स्थिती ।।                                   हलासन करने के बाद उसका पूरक आसन (चक्रासन) भी अवश्य करना चाहिए।।                                              लाभ:- 1) रीढ़ मजबुत होती है।।                                                2) शरीर की सभी नाडियां व प्रत्यंग सबल ब

मत्स्यासन

इमेज
मत्स्यासन  मत्स्यासन करते  समय शरीर का आकार मछली की तरह होने के कारण इसे 'मत्स्यासन' और अंग्रेजी में 'Fish Pose' कहा जाता हैं। कमर ओर गले से संबंधित समस्या से परेशान लोगो के लिए यह एक श्रेष्ठ आसन हैं। यह आसन सर्वांगासन का पुरक आसन इस को सर्वांगासन के तुरंत बाद किया जाता है। सर्वांगासन में गले का संकोचन होता है इसके विपरीत इस आसन में गले का प्रसारण होता है। स्तिथी:- पिठ के बल लेट कर किया जाने वाला आसन। इस आसन को बैठकर पदमासन करके भी किया जा सकता है। हम पिठ के बल लेटकर यह आसन करेंगे। कृती:- 1) पैर  मिलाकर रखे दोनों हाथ कमर के पास रखे. 2) अभी पदमासन लगाये। जिनका पदमासन नहीं लगता वह पैर सीधे मिलाकर ही रखे। 3)दोनो हाथों का सहारेसे सर उठाकर पीठ के हिस्से को ऊपर उठाकर गर्दन मोड़ते हुए सिर के उपरी हिस्से को जमीन पर टिकाए।  4)दोनों पैर के अंगूठे को हाथों से पकडे। कोंहनिया जमीन से सटी हुई रखे। 5)कोंहनीयोंपर जोर देकर सर निकाले । 6) पद्मासन खोले और शवासन में विश्राम करें। समय:- यह आसन स्तिथी बनाने के बाद 1 से 5 मिनट तक किया जाता है। कोइ लोग इस आसन को 3 मिनट से जादा ना करने की सल